झांक के देखो अंदर मेरे, खुशी से ज्यादा ग़म मिल जायेंगे
आज वही दर्द तुमको बताना चाहता हु मैं
लगा रहता था लोगो से मिलना जुलना
मगर इन्ही लोगो से दूर जाना चाहता हु मै
नही आती चालाकी इन लोगो की तरह
भोला बनकर ही प्यार जताना चाहता हु मै
बाहर से हु हसता हुआ, लेकिन अंदर से रो रहा
लेकिन रोते हुए भी तुम्हे हसाना चाहता हु मै
लव्ज दबे है सीने मे हर जगह हर कही
इन्ही लव्जो से कविता बनाकर तुम्हे सुनाना चाहता हु मै
लेकर तुम्हे निकल जाऊ इन हवाओ मे कही, नदी किनारे जाकर
बहते पानी मे कूदकर डुबकी लगाना चाहता हु मै
चले जाओगे तुम भी कभी, चले जाऊँगा मै भी कभी
नाम ना पूछो मेरा, ना ही बताना चाहता हु मै
खुद से निकल कर खुद मे ही डूब जाना चाहता हु मै
छोड़ इस दुनिया को, चल दुर दिशाओ मे कही
इशारो ही इशारो मे यही तो बताना चाहता हु मै
क्यू घुम रहे हो खुद को सबसे बडा समझकर
तुम्हे तुम्हारी ही पहचान करवाना चाहता हु मैं
ये सिर्फ लव्ज नही छोटी सी चिंगारी है सीने मे
और इसी से सीने मे आग जलाना चाहता हु मै
साथ है तेरा और तो कुछ नही बस
खुद्को ही सीने से लगाना चाहता हु मै
लेकिन दुर जाकर इस जहा से कही, पंख लगाकर
खुदा तेरे पास आना चाहता हु मै
जा गहराइयो मे इन आंखो की, तुझे दर्द भी मिल जायेगा
और यही तो दर्द तुम्हे बताना चाहता हु मैं
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