मेरे मम्मी पापा हमेशा कहते रहते है की बेटा बडा होकर कुछ बनना है..कुछ कर दिखाना है..लक्ष्य बनाओ उनको पुरा करो..तभी इस दुनिया के साथ कदम से कदम बढा पाओगे..नही तो पीछे रह जाओगे..मेरे क्या सबके मम्मी पापा यही कहते है..हमारी स्कूलो मे भी यही सिखाया गया है की हमेशा मेहनत करते रहो..सबसे आगे बढने की कोशिश करो..हर कोई यही सिखाता है..यही बताता है..लेकिन कोई यह नही बताता की खुश कैसे रहना है..कोई जिन्दगी को जीना नही सिखाता..कोई मौज मस्ती नही सिखाता..सब आगे बढने की बात करते है..कोई नही बताता..सब रटते चले आये है अपने अपने मा बाप से..दुनिया से..
और न हम लोग जानने की कोशिश करते है की जिन्दगी क्या है..हमारी असली जरूरते क्या है ..बस जो मा बाप ने बताया वो रटते चले गये..जैसे हमारी प्राथनाये (prayers) होती है ना..ना हमे इनका मतलब पता होता ना कोई बताता..जो बचपन मे बताया वो रटते चले गये..वो बडी बडी प्राथनाये..बडे बडे शब्दो वाली..bombastic..जिनका मतलब पता नही होता लेकिन रोज़ाना भगवान के सामने हाथ जोड़कर गुनगुनाते है..जबर्दस्ती बोले जाते है..प्राथनाये ये बडे बडे शब्दो वाली नही होती..प्राथनाये वो होती जो आप मुसीबत के समय भगवान से माँगते हो..जो आप बात करते हो भगवान से..मा बाप यह सिखाते ही नही जिन्दगी क्या है..बस marks लाना सिखाते है..नौकरी करना सिखाते है..पैसा कमाना सिखाते है..और होगा कुछ ही नही वे भी पैसा कमाते कमाते चले जायेन्गे..और आप भी पैसा कमाते हुए चले जायेन्गे..हा आखिरी मे जरूर..चार धामो की यात्रा कर आओगे..पर जो असली शांति, खुशी नही खोज पाओगे..
लेकिन लोग इस बारे मे सोचते कहा है..वे तो ये रटते चले जाते है..लोग अपनी असली जरूरत नही समझ पाते..कोई पैसो के पीछे भाग रहा है..कोई लड़की के पीछे..कोई गाडी बंगलो के पीछे..ये सब नकली जरूरते है..लोगो को लगता है यही सुख है, यही जिन्दगी है..और इन सबको पाने के लिए पुरी जिन्दगी मेहनत करते है..लेकिन फ़िर भी इंसान संतुष्ट नही होता..जितना पैसा कमाया उससे ज्यादा कमाना चाहते है..सोचते है यही सुख है..लेकिन जब बूढे होते है..जब आपको पता चलता है की आप मरने वाले हो तब आप डरने लगते हो..आपको लगता है की आपने अभी जिन्दगी जी नही है अच्छी तरह आपको अभी और जीना है..लेकिन कुछ नही हो सकता तब..ना फ़िर आपका पैसा काम आयेगा..फ़िर आपको भगवान याद आयेन्गे...आपने सारी जिन्दगी पैसा कमाने मे निकाल दी..अब मरने की बारी आयी तो डर रहे हो..पुरी जिन्दगी चिंता मे रहे की और पैसे कैसे कमाये..और अब शांति से मर भी ना पा रहे हो..मै ये नही कहता की पैसे मत कमाओ, मेहनत मत करो..करो खूब करो..खूब उन्नति करो..पर अपने आपको..अपनी जिन्दगी को महसूस तो करो..इसके मज़े तो उठाओ..
आपने जिन्दगी जीना सिखा ही नही..आपने अपने सपने अपनी जरूरतो को जानने की कोशिश ही नही करी..आप बस दुनिया की बनायी हुई जरूरतो के पीछे भागते हो..मै कोई प्रवचन नही दे रहा हु..लोगो का सच बता रहा हु..लोग हमेशा समाज की, लोगो की, पत्नी की सुनते है..लेकिन खुद की नही..
सीधी बात यह है की अपने भूत (past) को भुल जाओ ..अपने future को भुल जाओ..और वर्तमान (present) मे जियो..क्युकी चिंता केवल future को लेकर होती है present को लेकर नही..आपको present की क्या चिंता आपको तो future की चिंता होती है..जो भी होयेगा future मे ही तो होयेगा..इस्लिये present मे जियो..live dangerously...भुल जाओ डर क्या..अपने सपनो को पुरा करोगे तब मिलेगी तुम्हे असली खुशी असली शान्ति..तब लगेगा हा जिन्दगी को जिया है हमने महसूस किया है...जो मरज़ी वो करो..सोना है तो सो जाओ..घूमना है तो घुमो..खेलना है तो खेलो..पहाड़ चढना है तो पहाड़ चढो...तैरना है तो तैरो...लेकिन..लेकिन..जो करो पुरा ध्यान लगाके..खाना है तो सिर्फ खाओ...घूमना है तो सिर्फ घुमो...
कुछ नही है ये जिन्दगी..सिर्फ मज़े करने के लिए है दोस्तो,और कुछ नही..कुछ हासिल करने के नही आये हो यहा..सिर्फ और सिर्फ जीने के लिये..अभी तो ये बाते प्रवचन लग रही होगी...ये सब चीज़े बादमे समझ आती है...और तब तक समझ नही आयेगी..जब तक इस समाज का,लोगो का, भगवान का, डर नही निकल जाता है..
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